पंडवानी कलाकार पद्मश्री तीजन बाई ने जताई कलाकारों की गिरती आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता
- कहां कोरोना काल कलाकारों के जिंदगी का सबसे मुश्किल समय बना
- बीते दिनों गरियाबंद पहुंची थी तीजन बाई
- रामकृष्ण धु्रव, मैनपुर
गरियाबन्द–छत्तीसगढ़ की लोक कला और पंडवानी का अगर नाम ले तो इस क्षेत्र में सबसे बड़ा नाम निकलकर तीजन बाई का आता है। पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पंडवानी का प्रदर्शन कर चुकी। पद्मश्री तीजन बाई भी कोरोना काल चलते कलाकारों की स्थिति बिगड़ने की बात कह रही हैं। बीते दिनों कुछ देर के लिए गरियाबंद पहुंची थी पद्मश्री तीजन बाई।
उनका साफ कहना है कि कलाकारों का जीवन लोगों की भीड़ वाले कार्यक्रमों से चलता है और कोरोना के चलते ना भीड़ लग रही है ना कार्यक्रम कलाकार बेरोजगार हो गए हैं। वे कहती हैं कि कई कलाकारों की स्थितियां अब अच्छी नहीं रह गई हैं। छोटे कलाकारों के लिए उनकी पीड़ा साफ नजर आ रही है। पंडवानी की स्थितियों को लेकर पूछे गए सवाल पर वे कहती हैं कि पंडवानी सुनने वालों की संख्या आज भी लाखों में है ऐसा नहीं है कि लोग अब इसमें रुचि नहीं लेते स्कूलों में भी पंडवानी पसंद की जाती है।
पंडवानी कला सीखने में नए कलाकारों को रुचि नहीं होने के सवाल पर वे कहते हैं कि कई नए चेहरे प्रयासरत हैं लेकिन हर कोई तीजनबाई तो नहीं बन सकता फिर भी कई नाम है जो काफी कुछ कर रहे हैं, मेरे पास 200 से अधिक बच्चे हैं जो पंडवानी सीख रहे हैं उनमें से एक मेरी नाती भी है। तीजन बाई का कहना है कि कोरोना काल सबसे अधिक कलाकारों के लिए संकट का समय लेकर आया है कार्यक्रम पूरी तरह बंद होने के चलते कलाकार का जीवन संघर्ष के बीच कट रहा है।