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December 23, 2024

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29 जुलाई बाघ दिवस पर विशेष- उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में अब नहीं है बाघ, एक वर्ष से बाघ के नामो निशान गायब 

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  • दो दशक पूर्व तक मैनपुर क्षेत्र में आसानी से दिखाई देता था जंगल के राजा बाघ
  • 30 साल पहले नरभक्षी बाघिन व उसके शावक ने मैनपुर क्षेत्र के दर्जन भर गांव में मचाया था आतंक और 17 लोगों का किया था शिकार 
  • शेख हसन खान, गरियाबंद 

गरियाबंद । हर वर्ष 29 जुलाई को पुरे विश्व में अंर्तराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है, जिसका मुख्य उददेश्य बाघो के सरंक्षण व संवर्धन के लिए लोगो को जनजागरूक करना होता है और इस दिन वन विभाग द्वारा अनेक कार्यक्रम आयोजित भी किए जाते हैं । मैनपुर क्षेत्र के घने जंगलो में 02 दशक पूर्व तक आसानी से बाघ दिखाई देता था लेकिन अब क्षेत्र के जंगल में बाघ नजर ही नही आता है। स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार अब क्षेत्र के जंगल में बाघ दिखाई ही नहीं देता लेकिन दो दशक पूर्व तक आसानी से मैनपुर गरियाबंद मार्ग में बाघ आने जाने वाले राहगीरों को दिख जाता था जिसकी चर्चाए उस समय आम थी। ज्ञात हो कि गरियाबंद जिला के उदंती अभ्यारण और धमतरी जिला के सीतानदी को वर्ष 2008-09 में उदंती सीतानदी क्षेत्र घोषित किया गया था। यह 1842.54 वर्ग कि.मी. वन क्षेत्र में फैला हुआ है। और बाघ संरक्षण के नाम पर वन विभाग द्वारा इस जंगल क्षेत्र को हर तरह से सुरक्षित रखने का प्रयास किया जाता रहा है टाईगर रिजर्व का गठन कर कोर व बफर एरिया घोषित किया गया है। कुछ वर्ष पहले तक उदंती अभ्यारण में बाघ होने की पुष्टी वन विभाग द्वारा बकायदा किया जाता रहा है। यहां तक की वन विभाग के द्वारा लगाये गए जंगलों के भीतर ट्रेप कैमरा में बाघ की तस्वीर भी कैद हुई थी लेकिन पिछले एक वर्षो से उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ दिखाई नहीं दिया और तो और ट्रेप कैमरा में भी कोई तस्वीर कैद नहीं हुई है।

मिली जानकारी अनुसार उदंती का बाघ गोमर्डा अभ्यारण क्षेत्र में जाने के बाद लौट ही नहीं पाया। उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के जंगल में अब बाघ न ही है। साल डेढ़ साल से बाघ की तस्वीर कैद ही नहीं हुई है जबकि वन विभाग द्वारा जंगल के भीतर कई जगह ट्रेप कैमरा लगाकर निगरानी भी किया जा रहा है।

  • 30 साल पहले मैनपुर के नजदीक ग्रामों में नरभक्षी बाघिन व उसके शावक का था आतंक

30 साल पहले मैनपुर क्षेत्र के दर्जन भर से ज्यादा ग्रामों के लोगो को भी नरभक्षी बाघिन और उसके शावक के दहशत से देखने को मिलता था ज्ञात हो कि तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज 04 किलोमीटर की दुरी भाठीगढ पहाडी क्षेत्र से 15 किलोमीटर गोबरा पहाडी क्षेत्र तक सन् 1990 में नरभक्षी बाघिन मायावती और उसके शावक रूपक (राजा) के आंतक से यह क्षेत्र के दर्जन भर से ज्यादा ग्रामों के हजारों लोग थर्रा उठे थे , इस नरभक्षी बाघिन और उसके शावक ने उस समय 17 ग्रामीणों को अपना शिकार बनाया था तब मैनपुर मुख्यालय के सीमा तक इस नरभक्षी बाघिन के पद चिन्हों से क्षेत्र कांप उठा था उन दिनो को याद करते हुए क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिक हेमसिंह नेगी, नाथूराम धु्र्व, नकछेराम , आशाराम यादव ने बुजूर्ग ग्रामीणों ने बताया कि आज से 30 वर्ष पहले नरभक्षी बाघिन और उसके शावक के आंतक से लोग घरों से नही निकलते थे। बाघिन और उसके शावक के आतंक की गुंज राजधानी भोपाल तक गुंजी तो उस समय आविभाजित मध्यप्रदेश के तत्कालीन सरकार ने इस क्षेत्र के लोंगो को इस नरभक्षी बाघिन और उसके शावक के आंतक से मुक्ति दिलाने के लिए क्षेत्र में कई प्रयास किए प्रशिक्षित हाथियों के दलों और शिकारियों को बुलाया गया था लेकिन उसमें सफलता नही मिली। असम प्रदेश के जियाउर्र रहमान ने इस नरभक्षी बाघिन मायावती और उसके शावक रूपक को पिंजरे में कैद करने में सफलता प्राप्त किया था। और इन दोनों बाघिन और उसके शावक को मैत्रीगार्डन नंदनवन रायपुर भिलाई में रखा गया था तब यह क्षेत्र के लोगो को नरभक्षी बाघ के आंतक से मुक्ति मिली थी ।

वहीं दूसरी ओर मैनपुर गरियाबंद मुख्य मार्ग में उर्तुली घाटी के पास 20 वर्ष पूर्व तक आसानी से शावक के साथ मादा बाघ को सड़क पार करते आने जाने वाले यात्रीगण व राहगीर आसानी से देखा करते थे मैनपुर विकासखण्ड के धमतरी जिला को जोड़ने वाले बासीन नदी, दबनई नाला, कोयबा, तौरेगा के नजदीक आसानी से आने जाने वाले लोगो को बाघ दिखाई पड़ता था लेकिन अब बाघ गायब हो चूके है क्षेत्र के लोगो माने तो पिछले कई वर्षो से बाघ का नामो निशान क्षेत्र में नही दिखाई दे रहा है।

  • क्या कहते है वन अफसर

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के उपनिदेशक वरूण जैन ने बताया कि पिछले एक वर्ष से उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व क्षेत्र में बाघ के तस्वीर और मल तथा पंजे के निशान नही मिले है उन्होने आगे बताया अक्टूबर 2022 में बाघं कैमरे में कैद हुआ था और उसके बाद मल व पंजे के निशान मिले थे लेकिन एक वर्ष से उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ के निशान नही मिले है।