मालकांगनी वनोपज का मैनपुर क्षेत्र में जोरदार पैदावार, 20 रूपये किलो में बिक रहा
1 min read- दवा बनाने में इस वनोपज का होता है उपयोग
- शेख हसन खान, गरियाबंद
गरियाबंद मैनपुर वनांचल क्षेत्र में निवास करने वाले अधिकांश ग्रामीण वनोंपज पर ही आश्रित रहते हैं और क्षेत्र के घने जंगलों से बारोह माह अनेक प्रकार के वनोपज प्राप्त होता है। इन दिनों मैनपुर क्षेत्र के जंगलों से मालकांगनी वनोपज जिसे स्थानीय बोलचाल के भाषा में फेन कहा जाता है, जिसे जंगलों से तोडाई कर ग्रामीण मैनपुर तक लाकर बेचकर अपना जीवीका उपार्जन कर रहे हैं। क्षेत्र के जंगलों में मालकांगनी फेन की बाहर छाई हुई है और यह प्राकृतिक रूप से जंगल में उत्पन्न होने वाला वनोपज है, जिसे ग्रामीण व वनांचल क्षेत्र में निवास करने वाले रहवासी जंगल पहुंचकर आसानी से तोडकर लाते हैं और मैनपुर में इसे बिक्री किया जाता है। मिली जानकारी के अनुसार छिलका वाला मालकांगनी फेन 20 रूपये किलो और इसके बीज को निकालकर इसे 180 रूपये किलो तक बिक्री किया जाता है।
मालकांगनी उपर चढ़ने वाली लता है। इसके पत्ते अण्डाकार नुकीले पुष्प नीलापन लिए पीले, फल मटर के समान गोल और पीले होते है फल के तीन खंडों में एक-एक बीज होता है।
- मालकांगनी के बारे में बताए जाते हैं फायदे
वैसे तो अब मालकांगनी के मेडिकल स्टोरों और बाजारों में महंगे दामों पर तेल व दवा आसानी से मिलने लगा है लेकिन ग्रामीणों के अनुसार मालकांगनी फेन का काफी उपयोग दवा के रूप में किया जाता है। इसके तेल निकालने के बाद खासकर लकवा और कमर दर्द में इसका मालिश करने से काफी फायदा होता है। बताया जाता है अब मेडिकल स्टोरों में इसके अनेक प्रकार के दवा और तेल टानिक मिलने लगे है , जिससे सैकडो प्रकार के ईलाज किए जाते है। बहरहाल मैनपुर क्षेत्र में जंगलों में मालकांगनी फल की बाहर छाई हुई है ।