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May 19, 2024

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सुप्रीम कोर्ट ने आज फिर केन्द्र सरकार से पूछा- कोरोना वैक्सीन खरीदने के लिए गरीब कहां से पैसा लाएंगे ? बोला- नहीं अपना सकते देश में प्राइवेट सेक्टर का मॉडल

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना टीकाकरण को लेकर सरकारों को चेतावनी दी कि लाकडाउन के दौरान लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं। गरीबी लॉकडाउन के कारण और भी बढ़ गई है उनके पास रोजगार ना होने के कारण मजदूरी ना करने के कारण पैसा नहीं है। और इस संकट की घड़ी में टीकाकरण के लिए वह पैसा कहां से लाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वैक्सीन की कीमत को लेकर सरकार से पूछा है कि गरीब लोग इसे खरीदने के लिए कहां से पैसे लाएंगे। कोर्ट ने यह भी सलाह दी है कि केंद्र सरकार एक राष्ट्रीय टीकाकरण मॉडल अपनाए और सभी नागरिकों को मुफ्त टीका देने पर विचार करे,  क्योंकि गरीब लोग कोरोना का टीका नहीं खरीद पाएंगे। देश में कोविड-19 की मौजूदा स्थिति से जुड़े केसों की सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कीमत का मुद्दा बहुत गंभीर है। केन्द्र ने राज्य सरकारों से कहा है कि वह खुद ही वैक्सिंग मंगा कर लोगों को लगवा सकते हैं। इससे देशभर के राज्यों में सरकार संशय में पड़ गई है कि वैक्सीन के लिए कहां से बजट लाये।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस रविंद्र भट ने टीकों की नई खरीद नीति पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार से पूछा सभी वैक्सीन वह खुद क्यों नहीं खरीदती। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्यों को टीकों की खरीद अधिक कीमत पर करनी पड़ेगी। कोर्ट ने यह भी पूछा कि केंद्र और राज्य सरकारें उन लोगों का रजिस्ट्रेशन कैसे कराएंगी जो निरक्षर हैं या जिनके पास इंटरनेट की पहुंच नहीं है। गुरूवार को रजिस्ट्रेशन कुछ देर में ही क्रैश हो गया। लाखों लोग रजिस्ट्रेशन नहीं करा सके। वे इधर-उधर भटक रहे हैं।

शुक्रवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आज आप कहते हैं कि केंद्र को मिलने वाले 50 फीसदी (टीका) से फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 साल से अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण किया जाएगा। शेष 50 फीसदी का इस्तेमाल राज्य और निजी अस्पताल करेंगे। 59.46 करोड़ भारतीय 45 साल से कम उम्र के हैं और इनमें कई गरीब और हाशिए की श्रेणी के हैं। वे वैक्सीन खरीदने के लिए कहां से पैसा लाएंगे? जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे यह भी कहा कि हम निजीकरण के मॉडल पर नहीं चल सकते हैं।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम जानते हैं कि कितने टीकों का उत्पादन हो रहा है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आप (केंद्र) उत्पादन को बढ़ाएं। अतिरिक्त उत्पादन यूनिट्स के लिए जनहित शक्तियों के इस्तेमाल की जरूरत है। यह विचार राज्यों और केंद्र की आलोचना करने के लिए नहीं है। हम जानते हैं कि स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा 70 से 100 वर्षों से विरासत में मिला है। आज देश भर में कोरोना के लेकर संकट की स्थिति है। हर तरफ कहीं गैस की महामारी, रेमडीसिविर इंजेक्शन को लेकर कालाबाजारी चल रही है। इसमें सबसे ज्यादा परेशान आम आदमी है। गरीबों को हो पूछने वाला कोई नहीं है।

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