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May 20, 2024

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डॉक्टरों के ऐसे जज्बे को सलाम… अपनी जान जोखिम में डालकर ग्रामीणों की जान बचाने 40 किलोमीटर पैदल पहाड़ी के गांवों तक पहुंचते हैं

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  • डॉक्टर्स डे पर विशेष
  • आज आजादी के 75 साल बाद भी पहुंचने के लिए सड़क का निर्माण ही नहीं किया गया
  • शेख हसन खान, गरियाबंद

गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के आदिवासी विकास खंड मैनपुर क्षेत्र के बिहाड पहाड़ियों के ऊपर बसे कई ऐसे गांव है जहां आज आजादी के 75 साल बाद भी पहुंचने के लिए सड़क का निर्माण ही नहीं किया गया है। इन ग्रामों में पहुंचने के लिए पगडंडी बड़े-बड़े पत्थर खाई और गड्ढों को पार कर मिलो पैदल दूरी तय कर ही पहुंचा जा सकता है ।

आज डॉक्टर्स -डे के अवसर पर हम ऐसे डॉक्टरों के मेहनत और जज्बे को सलाम करते हैं जो अपने जान जोखिम में डालकर साल में कम से कम 3 से 4 बार मैनपुर विकासखंड के दूरस्थ पहाड़ी के ऊपर बसे हुए इन दुर्गम ग्राम ताराझर, मटाल, कुरवापानी, भालू डिग्गी तक पैदल पहुंच ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराते हैं और बकायदा गांव में स्वस्थ अमले के साथ रात रुक कर शिविर लगाकर ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दवा वितरण करते हैं। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ गजेन्द्र ध्रुव  एवं वरिष्ठ डा कालेश्वर नेगी के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग का अमला बिहड़ दूरस्थ ऊंची पहाड़ी ऊपर बसे गांव तक पहुंच अनेक बार शिविर लगाकर ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई है बता दें। यह अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र भी हैं और इन ग्रामों तक पहुंचने के लिए एक दर्जन से ज्यादा छोटी बड़ी नदी नालों को पैदल पार किया जाता है तो खासकर बारिश के दिनों में ग्रामों में मलेरिया का प्रकोप देखने को मिलता है।

मैनपुर के अंतर्गत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के गोद ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट के आश्रित ग्राम ताराझर, कुरवापानी, मटाल, भालूडिग्गी में पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। साथ ही पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली सभी मूलभूत सुविधाओं के लिए इन ग्रामों के ग्रामीणों को जूझना पड़ रहा है। इन पहाड़ों के उपर बसे ग्रामों तक पहुंचना आसमान से तारे तोड़कर लाने के बराबर है। अब तक जिले के बड़े अफसर और सांसद विधायक इन ग्रामों में नहीं पहुंच पाए।

क्या कहते हैं बीएमओ

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मैनपुर के बीएमओ डॉक्टर गजेंद्र ध्रुव ने बताया मैनपुर विकासखंड के पहाड़ी के ऊपर बसे कई ग्राम दुर्गम स्थानों पर बसा हुआ है। इन ग्रामों में है स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पैदल जाना पड़ता है और गांव में शिविर लगाकर प्रत्येक व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें दवा वितरण किया जाता है।

उन्होंने कहा कि यहां उनकी जिम्मेदारी है। स्वास्थ्य विभाग के सभी आमला के सहयोग से इन ग्रामों में पहुंचकर शिविर लगाकर स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है।