Recent Posts

May 20, 2024

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन के लिए खास नियमों का करना पड़ता है पालन, एक सप्ताह पहले त्यागना होता है तामसी भोजन

1 min read

स्त्री हो या पुरुष मेहंदीपुर बालाजी धाम मे कुछ बातों का रखना होता है विशेष ध्यान

मनीष शर्मा,8085657778 मुंगेली,बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

मेहंदीपुर(राजस्थान),वैसे तो हर जगह बजरंग बली के विशाल मंदिर है इनमे से एक राजस्थान में मेहंदीपुर बालाजी एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यह तीर्थ हनुमानजी के भक्तों के लिए एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है।यह तीर्थस्थल राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। यहां भगवान के दर्शन एवं अपनी मनोकामनाओं के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

यहाँ तीन देवों की प्रधानता है- श्री बालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल (भैरव)। इनके प्रकट होने से लेकर अब तक बारह महंत इस स्थान पर सेवा-पूजा कर चुके हैं और अब तक इस स्थान के दो महंत इस समय भी विद्यमान हैं। सर्व गणेशपुरी महाराज (भूतपूर्व सेवक) किशोरपुरी जी महाराज (वर्तमान सेवक)। यहाँ के उत्थान का युग श्री गणेशपुरी महाराज के समय से प्रारम्भ हुआ और अब दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। प्रधान मंदिर का निर्माण इन्हीं के समय में हुआ। इस प्रकार इनका सेवाकाल श्री बालाजी घाटा मेंहदीपुर के इतिहास का स्वर्ण युग कहलाएगा।

प्रारम्भ में यहाँ घोर बीहड़ जंगल था। घनी झाड़ियों में द्रोर-चीते, बघेरा आदि जंगली जानवर पड़े रहते हैं।वास्तव में इस मूर्त्ति को अलग से किसी कलाकार ने गढ़ कर नहीं बनाया है, अपितु यह तो पर्वत का ही अंग है और यह समूचा पर्वत ही मानों उसका ‘कनक भूधराकार’ द्रारीर है। इसी मूर्त्ति के चरणों में एक छोटी-सी कुण्डी थी, जिसका जल कभी बीतता ही नहीं था। रहस्य यह है कि महाराज की बायीं ओर छाती के नीचे से एक बारीक जलधारा निरन्तर बहती रहती है जो पर्याप्त चोला चढ़ जाने पर भी बंद नहीं होती।

यहां कई विचित्र नजारे देखने को मिलते हैं, जिन्हें पहली बार साक्षात्कार से लोग हैरत में भी पड़ जाते हैं।हालांकि विज्ञान भूतप्रेत को नही मानता है लेकिन हर दिन दूर-दूर से तंत्र,मंत्र,जादू टोना,प्रेतबाधा और ऊपरी बाधाओं से परेशान लोग मुक्ति के लिए आते है।

बालाजी की बायीं छाती में है छिद्र

मेहंदीपुर बालाजी की छाती पर बायीं ओर एक छोटा छिद्र है। जिसमें से जल बहता रहता है। ऐसी मान्यता है कि यह बालाजी का पसीना है। इस मंदिर में तीन देवता विराजते हैं एक तो स्वयं बालाजी, दूसरे प्रेतराज और तीसरे भैरों जिन्हें कप्तान कहा जाता है।मेहंदीपुर बालाजी महाराज की मूर्ति के ठीक सामने भगवान रामसीता की मूर्ति है, जिसके वह हमेशा दर्शन करते है।यहां हनुमान जी बाल रूप में विराजित है।

मेहंदीपुर धाम मुख्यत: नकारात्मक शक्ति एवं प्रेतबाधा से पीड़ित लोगों के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि नकारात्मक शक्ति से पीड़ित लोगों को यहां शीघ्र ही मुक्ति प्राप्त होती है।

इस मंदिर में प्रेतराज सरकार एवं भैरवबाबा यानी कोतवाल कप्तान की अद्भुत मूर्ति है।हर दिन दोपहर 2 बजे प्रेतराज सरकार के दरबार मे पेशी होती है।जिसमे लोगो के ऊपरी सायो को दूर किया जाता है।

लड्डू से प्रसन्न हो जाते है बालाजी

यहां बालाजी के सीने के बाईं ओर एक छोटा-सा छिद्र है। इसमें से जल बहता है। मंदिर में तीन देवता विराजमान हैं – बालाजी, प्रेतराज सरकार और भैरव। बालाजी महाराज लड्डू से प्रसन्न हो जाते हैं। वहीं भैरवजी को उड़द और प्रेतराज को पका हुआ चांवल का भोग लगाया जाता है।

एक हफ्ते पूर्व बंद करना होता है इनका सेवन

बालाजी के धाम की यात्रा करने से कम से कम एक हफ्ते पूर्व प्याज, लहसुन, मदिरा, मांस, अंडा और शराब का सेवन बंद कर देना चाहिए। कहते हैं कि बालाजी के प्रसाद के दो लड्डू अगर प्रेतबाधा से पीड़ित व्यक्ति को खिलाए जाएं तो उसके शरीर में स्थित प्रेत को भयंकर कष्ट होता है और वह छटपटाने लगता है।

यहां चढ़ाया गया प्रसाद यहीं पूर्ण कर जाएं

मेहंदीपुर में चढ़ाया गया प्रसाद यहीं पूर्ण कर जाएं। इसे घर पर ले जाने का निषेध है। खासतौर से जो लोग प्रेतबाधा से परेशान हैं, उन्हें और उनके परिजनों को कोई भी मीठी चीज और प्रसाद आदि साथ लेकर नहीं जाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार सुगंधित वस्तुएं और मिठाई आदि नकारात्मक शक्तियों को अधिक आकर्षित करती हैं। इसलिए इनके संबंध में स्थान और समय आदि का निर्देश दिया गया है।

ब्रह्मचर्य का करना होता है पालन

जितने समय बालाजी की नगरी में रहें, ब्रह्मचर्य का पालन करें। ऐसा कोई भी कार्य न करें जो धार्मिक मर्यादा के विरुद्ध हो। आध्यात्मिक संस्कारों में पवित्रता, सात्विकता और मर्यादा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। जहां इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है, वहां पूरा फल नहीं मिलता और अनिष्ट की आशंका होती है।

चढ़ाया जाता है अलग-अलग प्रसाद

बालाजी मंदिर में बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरों को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है। कहते हैं कि प्रसाद के लड्डू खाते ही प्रेत बाधा से पीड़ित व्यक्ति के अंदर मौजूद भूत प्रेत छटपटाने लगता है और अजीब हरकतें करने लगता है।

कैसे पहुंचे मेहंदीपुर बालाजी

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर हनुमानजी का फेमस मंदिर हैं। यहां रोजाना हाजारों की संख्यां मे लोग दर्शन करने आते हैं। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में है। अगर आपके पास अपनी कार है तो आप अपनी गाड़ी से मेहंदीपुर बालाजी जा सकते हैं।दिल्ली से मेहंदीपुर बालाजी की दूरी करीब 300 किलोमीटर है। अगर आप ताज एक्सप्रेस हाइवे या यमुना एक्सप्रेस हाइवे से जाते हैं तो 5 घंटे 30 मिनट में पहुंच जाएंगे। आप चाहें तो उसी मंदिर में दर्शन कर एक दिन में घूमकर वापिस आ सकते हैं या एक दिन मेहंदीपुर बालाजी रूक सकते हैं।आगरा से भी बस मार्ग,ट्रेन मार्ग है।मेहंदीपुर के लिए डायरेक्ट ट्रेन नही है।बालाजी के पास 40 किलोमीटर दूर नजदीकी बांदीकुई स्टेशन आकर वहां से टैक्सी से आना होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *